आज शरद ऋतु का चाँद उतर आया है मेरें आँगन में। आज शरद ऋतु का चाँद उतर आया है मेरें आँगन में।
देखे होंगे कई पूर्णिमा के चांद तुमने, मुझमें बात कुछ अलग है। देखे होंगे कई पूर्णिमा के चांद तुमने, मुझमें बात कुछ अलग है।
उस हाथ से जिसमें क्षमता थी कई लोगों का भाग्य बदलने की। उस हाथ से जिसमें क्षमता थी कई लोगों का भाग्य बदलने की।
शीश झुकाए गुरु चरणों में शिष्य बनाले जीवन सार्थक। शीश झुकाए गुरु चरणों में शिष्य बनाले जीवन सार्थक।
तुम पूर्णिमा के चाँद सी, मैं अँधेरी रात सा। तुम पूर्णिमा के चाँद सी, मैं अँधेरी रात सा।
आई दीवाली खुशियाँ लाई चलो दीप जलाए अंधकार मिटाएँ। आई दीवाली खुशियाँ लाई चलो दीप जलाए अंधकार मिटाएँ।